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यह नगर गोमती नदी के किनारे बसा हुआ है। प्राचीन किंवदंती के अनुसार जमदग्नि ऋषि के नाम पर इस नगर का नामकरण हुआ था। जमदग्नि का एक मंदिर यहाँ आज भी स्थित है। यह भी कहा जाता है कि इस नगर की नींव 14वीं शती में ‘जूना ख़ाँ’ ने डाली थी, जो बाद में मुहम्मद तुग़लक़ के नाम से प्रसिद्ध हुआ और दिल्ली का सुल्तान हुआ। जौनपुर का प्राचीन नाम ‘यवनपुर’ भी बताया जाता है। 1397 ई. में जौनपुर के सूबेदार ख़्वाजा जहान ने दिल्ली के सुल्तान मुहम्मद तुग़लक़ की अधीनता को ठुकराकर अपनी स्वाधीनता की घोषणा कर दी और शर्कीनामक एक नए राजवंश की स्थापना की। जौनपुर एक शतक तक शर्क्की राज्य की राजधानी रहा है |इस दौरान शर्की सुल्तानों ने जौनपुर में कई सुन्दर भवन, एक क़िला, मक़बरा तथा मस्जिदें बनवाईं।
आज भी जौनपुर की सुन्दरता इसके किले,गोमती,शाही पुल और भव्य मकबरों, पुरानी मस्जिदों और मंदिरों के कारण देखती ही बनती है | पर्यटकों के लिए जौनपुर एक बहुत ही बेहतरीन पर्यटन स्थल है बस आवश्यकता है यहाँ पे पर्यटकों के लिए सहूलियतें पैदा करने की |
जौनपुर में एक समय ऐसा भी था की यहाँ ज्ञान का समुदर बहा करता था | विश्व भर से लोग यहाँ ज्ञान हासिल करने आया करते थे | आज भी यहाँ के लोगों को ज्ञान हासिल करने में बहुत ही अधिक रूचि रहती है | एक से एक शायर ,लेखक और इतिहासकार मौजूद हैं | हाँ यह बात और है की उनके इस ज्ञान का फायदा विशव् के दुसरे लोगों को नहीं मिला पता और इसका कारन यहाँ के अधिकतर लोगों का अपनी बात को विश्व भर में फैलाने का साधन का न मिलना है | जौनपुर सिटी ने अपने इस प्लेटफार्म से ऐसी प्रतिभाओं को विश्व भर में पहुँचाने का काम किया है |
आज यह देख के प्रसन्नता होती है की आज यहाँ बड़े बड़े बैंक और शोपिंग मॉल खुल गए हैं | एक बड़े शहर में जो भी सुविधाएं हुआ करती है वो सब धीरे धीरे आती जा रही हैं | बस आवश्यकता है यहाँ के लोगों को अपनी सोंच बदलने की और जौनपुर के बाहर विश्व से जुड़ने की | तारे तोड़ने की कोशिश करोगे तो तारा अगर न भी तोडा तो चाँद अवश्य तोड़ लोगे |
जौनपुर जो
यह है कोतवाली पे स्थित जौनपुर के सबसे पुराने व्यवसाय सुनार कि दूकान कि एक झलक |
जौनपुर सिटी स्टेशन का सुबह का नज़ारा
जामुन जिसे खाने में भी मज़ा और देखने में भी मज़ा |
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