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एक्सक्यूज़ मी, क्या मैं भी मियां मिट्ठू बन सकता हूँ ?

अमन का पैगाम
अमन का पैगाम
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कुछ मित्रों के बीच बात चीत हो रही थी समाज  के बारे मैं , वहां मैं भी पहुँच गया मैंने मित्रों  से मैं पुछा ..एक्सक्यूज़ मी,क्या मैं कुछ कह सकता हूँ ? मित्र खुश तो हुए लेकिन एक सवालिया निशान भी था चेहरे पे ..मैंने कहा अरे अर्र्रे घबराएं नहीं मैं फिल्म वालों या नेताओं  कि तरह   अपनी महिमा गीत ख़ुद गाकर अपने मुंह मियां मिट्ठू नही बनूँगा क्यों कि जानता हूँ  आत्मप्रशंसा से बड़ा दुर्गुण दूसरा नहीं.

मित्र बोले ऐसा नहीं करेगा तो क्या कहेगा? चल कुछ मुन्नी कि जवानी के किस्से सुने जाएँ. मैं बोला यह भी कोई बात हुई करने वाली?

मैं हंस कर बोला चल ऐसा कुछ करें कि समाज का भला हो….

तभी एक मित्र बोला  ओये, जाने दे  यार, तू तो बहुत ज्यादा जजबाती हो जाता है, फालतू का टेंशन लेकर कौन सा तू किसी को इंसान बना देगा,  क्या इश्क करेगा तो माशूका का भला नहीं होगा?

मैंने कहा अरे देख अब तो छुटभैये नेता भी अपने मुह मियां मिठू बन के आप जनता को बेवकूफ बना रहे हैं.

मित्र बोला चुप बैठ आज कल  सभी अपनी रोटी पे दाल खींचने पे लगे हैं. तू  भी ऐसा कुछ कर कि माल मिले,  लाल लाल गाल  मिले.  कहां तू फ्री फंड में टेंशन पालता है . तेरी बला से कोई भी घोटाला  करे , कोई किसी को मारे ,  मुंबई पर अटैक करे, चाहे दिल्ली पे   कोई भी मरें, तुझे क्या ? फालतू की चिंता कर-करके दुबला हुए जा रहा है.

मैंने कहा चल ठीक अब तुम सब बताओ क्या करू? सभी मित्र शोर  मचाने लगे. कुछ बोले आज आया है  लाइन पे, चल वो तेरे आफिस मैं नयी आइटम  आयी है , उसके बारे मैं बता? सुना है Boss के केबिन मैं बहुत dictation ले रही है?
मैंने कहा बताता हूँ . बस  इतना सुनना था कि मित्र सभी आगे आ के बैठ गए , कुछ जाने लगे थे वो भी वापस आ गए..उत्सुकता से इंतज़ार करने लगे.

मैंने कहा पहले तुम लोग मुझे दुनियादारी सिखाओ. मित्र बोले  थोड़ा अंदाज़ रंगीन करो मियाँ और चल बाँध  ले गांठ आज से उपदेश मंदिर मस्जिद के लिए बस. इमानदारी और शांति कि बातें केवल कार पे चिपका के रख. और हर समय अपनी महिमा का बखान करो और जोर जोर से गाओ .. झूट सच बनी  बनाई कहानी कोई फर्क नहीं पड़ता बंगले,कार, हवाई ज़हाज़ के पीछे सभी अवगुण छिप जाएंगे. आज के युग मैं तो लोग अपनी खूबसूरत बीवी को भी कम कपड़ों मैं पार्टिओं मैं ले जा के वाह वाह बटोर लेने मैं शर्म नहीं महसूस करते. आज मार्केटिंग का ज़माना हैं भाई .


कोई अच्छी अच्छी बात बताए तो खूब तारीफ कर लेकिन देख आज के युग मैं यह सब  किताबी बातें हैं इनपे चलने कि कोशिश करना बेकार है. ऐसा करेगा तो तकलीफ उठाएगा.

मैंने मित्रों से कहा यार यह बताओ  क्या  देश में अपने जैसे अभी भी कुछ बेवकूफ लोग बचे है जो वाकई मैं समाज के लिए  कुछ अच्छा  करना चाहते हैं ? चाहे उन्हें कुछ मिले या न मिले.

मित्र बोले अरे यार तू  नहीं बदलेगा?  मैं हंस के बोला ध्यान से देख मैं बदल भी गया. मियां मिठू बनना मुझे भी  आता है….

जो धार्मिक इंसान हुआ करता है वो जानता है उसकी नेकी कोई देखे या ना देखे अल्लाह देख रहा है. वो यह भी जानता है कि इस छोटी सी ज़िंदगी के बाद एक दिन मौत आनी  है और हमारे सभी पाप पुण्य का हिसाब  अल्लाह को ही देता है.



जब धर्म मैं विश्वास रखने वाला इंसान यह जानता है तो समाज के सामने झूठे सच्चे दिखावे क्यों करता है?
मंदिर , मस्जिदों मैं दान इंसान क्यों देता है? यदि इश्वेर कि ख़ुशी के लिए , तो समाज मैं उसका गुणगान करके ,इज्ज़त पाने कि कोशिश क्यों करता है?

क्यों कि मियाँ मिट्ठू कहते ही उसे हैं जिसको  इश्वेर के होने का और उसके फैसले का यकीन ना हो. ऐसे इंसान अधर्म के साथी हुआ करते हैं. ऐसे इंसानों से वफ़ा कि उम्मीद नहीं करनी चाहिए.

अर्रे अर्रे उठ  के ना जाएं भाई , आते रहियेगा , अगली बार boss और नयी आईटम कि बातें अवश्य  बताऊंगा.. (वादे करने मैं क्या जाता है…)

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